शेखावाटी का इतिहास

परिचय:-

उत्तर पूर्वी राजस्थान में शेखावाटी क्षेत्र के अंतर्गत कई गाँव और कस्बें आते है। शेखावाटी क्षेत्र की भौगोलिक सीमाएं वर्तमान में झुंझुनू, सीकर और चुरू जिले तक सीमित हैं। विक्रम संवत १४२३ में कछवावंश के राजा उदयकरण आमेर के राजा बनें व उनके पुत्रो द्वारा शेखावत, नरुका व राजावत नामक शाखाओ का निकास हुआ। राजा उदयकरण के तीसरे पुत्र बालाजी शेखावतों के प्राचिन पुरुष थे। जिनके पास बरवाडा की १२ गावों की जागीर थी। बालाजी के पुत्र मोकल जी हुए और विक्रम संवत १४९० में मोकल जी के पुत्र महान योधा महाराव शेखा जी का जन्म हुआ। जोकी शेखावाटी व शेखावत वंश के प्रवर्तक थे। विक्रम संवत १५०२ में मोकल जी के निधन के बाद महाराव शेखा जी बरवाडा व नान के २४ गावों के मालिक बने। राजा रायसल जी, राव शिव सिंह जी, शार्दुल सिंह जीभोजराज जीसुजान सिंह आदी विरों ने स्वतंत्र शेखावत राज्यों की स्थापना की व बठोथ, पटोदा के ठाकुर डूंगर सिंहजवाहर सिहं शेखावत ने भारतिय स्वतंत्रता के लिये आंग्रेजों के विरूध सशस्त्र संघर्ष चालू कर शेखावाटी में आजादी की लड़ाई का बिगुल बजाया।

सीकर:-

रियासती युग में सीकर ठिकाना जयपुर रियासत का ही एक हिस्सा था। सीकर की स्थापना १६८७ ई. के आस पास राव दौलत सिंह ने की जहाँ आज सीकर शहर का गढ़ बना हुआ है। वह उस जमाने में वीरभान का बास नामक गाँव होता था। सीकर जिले के लक्ष्मणगढ़, फतेहपुर शेखावाटी आदि कस्बे आपनी भव्य हवेलियों के कारण प्रसिद्ध है। ये ओपन एयर आर्ट गैलरी के रूप में प्रसिद्ध हैं। सीकर जिला आनेक विख्यात उध्योगपतियों की जन्म स्थली है। इन उध्योगपतियों ने देश की आर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। बजाज, गोयनका, मोदी आदी परिवार जैसे प्रसिद्ध उध्योगपतियों की जन्म स्थली इसी जिले में स्थित है। १८५७ की क्रांति के समय अंग्रेजी राज के विरूद्ध जन चेतना जागृति करने वाले डूँगजी-जवाहर जी सीकर के बठोठ-पाटोदा के रहने वाले थे। लोठिया जाट व करणा भील डूँगजी जवाहर जी के साथी थे। इसी क्षेत्र में तांत्या टोपे ने १८५७ की क्रांति के समय शरण प्राप्त की थी। गाँधी जी के ५वें पुत्र के नाम से प्रसिद्ध सेठ जमनालाल बजाज (काशी का बास) इसी जिले के रहने वाले थे।

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